Paryavaran aur aasan mahavinash: पर्यावरण और आसन्न महाविनाश
Paryavaran aur aasan mahavinash: पर्यावरण और आसन्न महाविनाश Preview

Paryavaran aur aasan mahavinash: पर्यावरण और आसन्न महाविनाश

  • Fri Jan 12, 2018
  • Price : 100.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi
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गुरुश्री की यह पुस्तक सर्वथा नये आयाम को स्पर्श करती है। पर्यावरण का क्षरण और जलवायविक परिवर्तन आज की ज्वलन्त समस्या हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषणपरक ढंग से इसको पर्यावरण विज्ञान के रूप में प्रस्तुत किया है परन्तु गुरुश्री ने पर्यावरण को सर्वथा अछूते ढंग से प्रस्तुत किया है। विज्ञान पर्यावरण और प्रकृति को उपयोग और लाभ के दृष्टिकोण से देखता रहा है। गुरुश्री कहते हैं, ‘उपयोग जीवन और अस्तित्व का सार सूत्र नहीं है। लाभ जीवन का काम्य नहीं है और फिर यदि लाभ देखना ही है तो हमें वृहत्तर, महत्तर और दीर्घतर लाभ देखना सीखना होगा। हम आत्मा की गहनता के नितल की एकात्मक को भूल गये हैं। चारों ओर जो भी है, उसके साथ हमारा द्वैत का नहीं अद्वैत का सम्बन्ध है। चारों ओर जो है परिवेश या सीमित अर्थों में पर्यावरण वह हमसे अलग नहीं, हम उससे अलग नहीं। हम उसके अंग मात्र नहीं, पुर्जे मात्र नहीं, हम वह सब ही हैं। हममें और उसमें सम्बन्ध नहीं एकाकारता-एकात्मता है। हम और वह दो नहीं।