UDAY SARVODAYA
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UDAY SARVODAYA

  • UDAY SARVODAYA_August_2017
  • Price : Free
  • Uday Sarvodaya
  • Language - Hindi
  • Published monthly
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देशवासी प्रतिवर्ष एक नियत समय व स्थान पर स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं यानी देश की आजादी का जश्न. पिछले 71 साल से लगातार इस दिन देश के लोग देशभक्ति के गीत गाते हैं, स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, ‘इंकलाब-जिंदाबाद’ के नारे लगाते हैं और फिर तिरंगा झंडा फहरा कर अपने-अपने घर लौट आते हैं, लेकिन क्या ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्रता ही इस देश का अभीष्ट था? स्वतंत्रता सेनानियों ने, चाहे वो गरम दल के रहे हों या नरम दल के, क्या इसी देश (वर्तमान भारत) के लिए अपना बलिदान दिया था, जिसमें चहुंओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है? देश ‘गोरे अंग्रेजों’ से मुक्त हुआ तो उसे ‘काले अंग्रेजों’ ने जकड़ लिया. अब इनके खिलाफ एक बड़ी जंग की जरूरत है. फिलहाल देश में ऐसे तमाम नायक हैं जो देश की बेहतरी के लिए भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध लड़ रहे हैं. कुछ इस लड़ाई में आमने-सामने सीधे मैदान में हैं तो कुछ अपने सत्कार्यों के जरिए गांधी की तरह एक मिसाल पेश कर संदेश दे रहे हैं कि अपनी मानसिकता बदलो. दूसरे शब्दों में कहें तो ये स्वतंत्र भारत के वे सेनानी हैं जो देश से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पबद्ध हैं. इस बार की आवरण कथा ऐसे ही सेनानियों के जज्बे को सलाम है.

समाचार पत्र-पत्रिकाओं की भीड़ से अलग बहुजन हित व सर्वोदय की आवाज़ उठाने की एक पहल.