Jeevan-Mrityu Rahasya evam Mrityu Sanskar ek vaigyanik pehal जीवन-मृत्यु रहस्य एवं मृत्यु संस्कार एक वैज्ञानिक पहल


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pमृत्यु-यह शब्द जितना गूढ़ है, उतना ही जिज्ञासा एवं भय का विषय भी। युगों से मानव जीवन के इस अन्तिम सत्य को समझने की चेष्टा करता आया है, किंतु प्रश्न वही बना रहता है मृत्यु के बाद क्या आत्मा क्या है क्या जीवन यहीं समाप्त हो जाता है या यह किसी और यात्रा की शुरुआत है मृत्यु सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतन यात्रा का वह पड़ाव है जहाँ से आत्मा अपने आगे की दिशा तय करती है। इसी प्रकार क्या जीवन केवल श्वास और शरीर तक ही सीमित है यदि ऐसा होता, तो चेतन और जड़ में कोई अंतर नहीं होता। किंतु हम जानते हैं कि जीवन मात्र जैविक गतिविधियों का समुच्चय नहीं, अपितु उससे कहीं अधिक है। अनुभूति, विचार, स्मृति, इच्छा, संकल्प, प्रेम, भय, ज्ञान, आत्मबोध, चेतना, संस्कार यह सब कुछ जीवन का ही अंग इसका उत्तर न केवल शरीर और विज्ञान से, बल्कि दर्शन, आध्यात्म और संस्कृति से भी जुड़ा है। न्यूरोसायंस, क्वांटम फिजिक्स और साइकोलॉजी - ये सभी जीवन के उन पहलुओं को समझने का प्रयास कर रहे हैं जो केवल श्वास से परे हैं। क्वांटम भौतिकी एवं न्यूरोसाइंस भी कहती है कि चेतना Consciousness केवल मस्तिष्क की उपज नहीं हो सकती, पदार्थ की मूलभूत इकाइयाँ सूचना information और संभाव्यता probability से संचालित होती हैं, जो मृत्यु के साथ समाप्त नहीं होतीं।p