Ardh Suhagin


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pमेरी अपनी यह किताब अर्द्ध सुहागिन लिख कर तैयारी हो गई थी। उस वक्त मुझे प्रकाशक से संबंध स्थापित करना था लेकिन यह सब कार्य करने में अजीब सी समस्यायें बाधित कर रही थी। उस समय मैंने अपने पुत्र, पुत्री और दामाद से अपनी मजबूरी प्रकट की। मेरी यह किताब तैयार हो चुकी थी केवल छपने के लिए जानी थी। उस वक्त मेरे परिवार के इन सदस्यों ने मेरा पूर्ण सहयोग दिया।br1.brदामाद - अनुराग यादव, नई दिल्लीbr2. पुत्र - विकास यादव, कांगडा, हिमाचल प्रदेशbr3.brपुत्री - भारती यादव, नई दिल्लीbrइन सदस्यों ने मेरी किताब को छपवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण मेरी यह किताब आप सभी तक पहुँच सकी। इन तीनों सदस्यों का अपने दिल से आभार प्रकट करता हूँ और इस सहयोग के लिये धन्यवाद देता हूँ।p