bhav trangini भाव तरंगिनि


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pप्रिय मित्रगण, मेरा असली नाम नीरू नैय्यर है। निर्झरणी भावों की मेरा पहला काव्य संग्रह सादर आपके करकमलों में प्रस्तुत है।brप्रत्येक मनुष्य में 8 प्रकार के भाव निहित होते हैं यथा प्रेम, उत्साह या ऊर्जा, शोक, हास, विस्मय, भय, जुगुप्सा अर्थात निंदा या बुराई करना और क्रोध ।brभाव तरंगिनी में, मनुष्य में उपस्थित इन्हीं सब भावों का समावेश है जिसे मैं समर्पित करना चाहती हूँ सर्वप्रथम अपने पतिदेव राजीव जी को, जिन्होंने मेरी खिल्ली उड़ाकर मुझमें लिखने का भाव जगाया और उसके बाद अपने उन रिश्तेदारों को, जिन्होंने हर पल मुझे नकारा और कुछ बन दिखाने की भावना को मुझमें बलवती किया। उनकी उपेक्षा को मैंने सकारात्मक रूप में लेकर कुछ वर्ष पहले ही लिखने का प्रयास आरम्भ किया है। नीरू को नीलोफर में बदलकर मुझे सम्मान और मेरी पहचान दिलाई इसलिए इन आलोचकों का हृदयतल से आभार प्रकट करती हूँ चूँकि ये नहीं होते तो इस नीलोफर का भी कोई अस्तित्व न होता ।brमेरा ये पहला काव्य संग्रह मेरी चिर परिचित अभिलाषा की परिणति है।p