MAN DARPAN


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pमण दर्पण मेरा यह प्रथम काव्य संग्रह है। मेरी कोशिश है कि कविता में ईमानदार रहूँ। साहित्य से दूर होने के कारण, संगत के अभाव से और समय के अभाव से कविता पर जितना काम करना चाहिए, उतना कर नहीं पाया हूँ। लेकिन फिर भी कोशिश की है। अग्रज कवियों में रामधारी सिंह दिनकर जी को, हरिवंश राय बच्चन जी को पढ़ा है। उन्हीं को अपनी प्रेरणा का आधार बना कर लिखता चला गया।brमन कविता में पवित्र मन की चाह बताने का प्रयास, प्रयासbrकविता में आगे बढ़ने की चाह, मातृ भूमि प्रेम कविता में मातृभूमि के प्रतिbrसम्पूर्ण समर्पण की बात, मेरी सहेली कविता पिता और पुत्री प्रेम को उजागरbrकरती है। फेसबुक कविता युवा वर्ग के मन को यर्थाथ स्थिति से अवगतbrकरवाती है।brहर सचेत कवि समाज में हो रहे परिवर्तन के विषय में सोचता है, विचार-विमर्श करता है और अपने काव्य के माध्यम से समाज के सच को समाज के सामने रखने का प्रयास करता है। अपने छोटे से प्रयास से कवि समाज दुनिया को बदलने की कोशिश करता है। मन का दर्पण कविता संग्रह में कवि भ्रम, सत्य, आत्मा की बात कहता है।brकई भले लोगों को धन्यवाद करना जरूरी है कि यह संग्रह सामने आ रहा है। साथी कवियों का धन्यवाद, पाठकों की एक छोटी भीड़ को धन्यवाद जिन्होंने समय-समय पर मुझे प्रोत्साहित किया है। पत्नी प्रोफेसर डॉ. सिन्धु कपूर जी का धन्यवाद जिन्होंने इस संग्रह को पूरा करने में अपना सहयोग दिया ।p