Panchjanya


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अजान की आंच लाउस्पीकर पर अजान क्यों शांति से जीने की किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता क्या मजहबी प्रथाओं की आड़ में बाधित की जा सकती है क्या अन्य तमावलंबियों की अस्था पर चोट करने, उन्हें ललकारने की छूट किसी मजहब खास को दी जा सकती है और, क्या किसी मजहब खास की जिद के लिए अदालतों के निर्देश को नजरअंदाज करना एक लोकतांत्रिक ओर सभ्य समाज में उचित है तलाश है जवाब की