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नौकरशाही की सम्पूर्ण संरचना की पुनर्समीक्षा की आवश्यकता है। नौकरशाही ही सरकार की हरेक नीति से जनता को जोड़ती है। ये सुधरेगी, तभी देश बेहतर होगा। हालांकि जनोन्मुखी नौकरशाही की मंजिल तो अभी लम्बी और अन्धेरी सुरंग के उस पार बहुत दूर है किन्तु आज भी कुछ अधिकारियों ने नौकरशाही के तवील अन्धेरों में भी लोकशाही की शम्मा रौशन कर रखी है। फिलहाल आज की तारीख नौकरशाही को यूं परिभाषित कर रही है कि:- जो डलहौजी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे, कमीशन दो तो हिन्दुस्तान को नीलाम कर देंगे।