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पर्यटन आज दुनिया ही नहीं, भारत में भी एक बड़े उद्योग का दर्जा पा चुका है। बीते हजारों वर्षों में दुनिया को जोडऩे, खोजने, समझने और साहित्य, कला संस्कृति के साथ विज्ञान को भी एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम भी यात्रियों व पर्यटकों ने ही किया है। यही कारण है कि पर्यटन के महत्व को आज सभी देशों ने स्वीकार किया है। प्रख्यात पश्चिमी विचारक मांटेन का कहना है – ‘पर्यटन के अभाव में कोई व्यक्ति पूर्ण शिक्षित नहीं कहा जा सकता।’ वास्तव में पर्यटन निरुद्देश्य नहीं होता। पर्यटन की प्रेरणा राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यावसायिक, व्यापारिक आदि अनेक कारणों से प्राप्त हो सकती है। इनके अतिरिक्त मनोरंजन, अनुसंधान, अध्ययन, स्वास्थ्य-लाभ अथवा अन्य व्यक्तिगत कारण भी पर्यटन के मूल में हो सकते हैं।