मेरे लिए बाबासाहेब अम्बेडकर का जीवन-चरित्र लिखना एक दुष्कर कार्य था। वे असाधारण व्यक्तित्व के धनी महापुरुष थे। उनकी प्रतिभा बहुमुखी थी।
उनमें विश्व के अनेक महापुरुषों के गुण है। उनमें डॉ. जॉनसन की साहित्य साधना थी और उनकी वाकपटुता भी। उनमें मार्टिन लूथर किंग की कट्टर सुधारवादिता थी, जिसने अपने सिद्धांतों के तीक्ष्ण तीरों से पोप की धर्मांधता के किले की नींव हिला दी थी। उनमें वाल्टेयर का मनोबल और सत्यवादिता थी। उसने अपने लेखों, भाषणों और व्यंग्यों से फ्रांस की रूढ़िवादिता की दीवारों में छेद कर दिए थे। बाबासाहेब में कार्लमार्क्स की अध्ययन-अध्यवसायता थी। उनमें बोनापार्ट की अदम्यता, लिंकन की देशभक्ति और गेरीवाल्डी का देश प्रेम था। उनमें वर्क की तार्किकता और बिस्मार्क की कार्यक्षमता थी। साथ ही बाबासाहेब में भगवान बुद्ध की मैत्री और करुणा थी और वैसे ही वे भविष्य द्रष्टा थे। इन अनगिनत गुणों से संपन्न बाबासाहेब का चरित्र चित्रण करना मेरे लिए बहुत कठिन काम था। इस किताब को लिखने के लिए मुझे बहुत सारे परेशानियों का सामना करना पड़ा इतना ही नहीं मुझे दो दिन भूखा भी रहना पड़ा। इस किताब को लिखने का मेरा मेन मकसद यहीं था कि आज भी गांव देहात में लोगों से पूछा जाता है कि बाबा साहेब को जानते हो तो उतर मिलता है हा फिर मैं अगला सवाल पूछता हूं बाबासाहेब ने क्या किया था? तो 95% लोग इतना ही जवाब देते है, बाबासाहेब ने संविधान लिखा था बस। उसके आगे एक शब्द भी नहीं बोलते है। फिर मैंने सोचा कि बाबा साहेब अम्बेडकर का जो मिशन है, विचार है उसको आसान से आसान भाषा में कैसे लोगों तक पहुंचाया जाय कि हर घर में उनकी विचारधारा पहुंच जाए, मिशन की बात पहुंच जाए और लोग अच्छी तरह जान सके कि बाबा साहेब ने इस देश के लिए, इस राष्ट्र के लिए, बहुजन समाज के लिए क्या-क्या किया था और किन परिस्थितियों में किया था। ताकि लोग उनके जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर, उनका भी समाज के प्रति क्या कर्तव्य है? उसे ईमानदारी से निभाने का कार्य करें !!