Meri Vyangya Kavitayen
Meri Vyangya Kavitayen Preview

Meri Vyangya Kavitayen

  • Thu Aug 22, 2019
  • Price : 150.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi
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हिन्दी के गणमान्य वरिष्ठ कवि उद्भ्रांत चतुर्मुखी रचनात्मक प्रतिभा के धनी हैं। विगत आधी शताब्दी की उनकी रचना-यात्रा में साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में उनकी लेखनी ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज की है; यद्यपि कवि-प्रकृति के कारण उनका सर्वाधिक रुझान कविता की ओर ही रहा। कविता में भी वे किसी विशेष प्रकार की कविता के बंधन में नहीं रहे। गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, खंड काव्य, प्रबंध काव्य या महाकाव्य-शायद ही कोई ऐसा काव्यरूप होगा जिसमें उन्होंने काव्य-रचना न की हो। उनकी शैली और प्रकृति का कोई अन्य रचनाकार हिन्दी जगत में दूर-दूर तक नजर नहीं आता।
कवि उद्भ्रांत की पहचान मुख्य रूप से एक गम्भीर, प्रगतिचेता, छंद के प्रति आस्थावान कवि की रही है, किन्तु बहुत कम लोग जानते हैं-विगत तीन दशकों में उभरी युवा पीढ़ी तो शायद इस तथ्य से बिल्कुल अवगत न हो-कि बीसवीं शती के सातवें दशक के मध्य से आठवें दशक के मध्य तक अपने कवि सम्मेलनी दौर में मंच पर उत्कृष्ट गीतों के प्रति श्रोताओं की उदासीनता से उत्पन्न खिन्नता ने उन्हें अपनी प्रकृति के विरुद्ध जाकर कुछ ऐसी व्यंग्य रचनाएं लिखने के लिए भी प्रेरित किया जो अपनी दुंदुभी बजाने वाले मंच-जमाऊ कवियों के बीच भी नश्तर जैसे पैने व्यंग्य के कारण जनता के बीच समादृत हुई। अपने समय में पर्याप्त लोकप्रिय रहीं कवि उद्भ्रांत की वे कविताएं-जिनकी प्रासंगिकता आज भी असंदिग्ध है-आज के व्यंग्य-प्रेमी पाठक समाज के सामने प्रस्तुत करते हुए हम हर्ष का अनुभव करते हैं।