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ADHURI KHWAHISHEN (अधूरी ख्वाहिशें)
ADHURI KHWAHISHEN (अधूरी ख्वाहिशें)

ADHURI KHWAHISHEN (अधूरी ख्वाहिशें)

By: ANURADHA PRAKASHAN (??????? ??????? ?????? )
175.00

Single Issue

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About ADHURI KHWAHISHEN (अधूरी ख्वाहिशें)

भारत भूमि के मात्र एक कण के बराबर मध्यप्रदेश में माँ नर्मदा के पावन तट पर बसा एक छोटा सा ग्राम बरहा कलां जिसकी गोद में मेरी जिंदगी की पहली किरण ने अंगड़ाई ली । यहीं से शुरू हुआ जिंदगी का सफर । गाँव में शिक्षा की उचित व्यवस्था ना होने के कारण घर से दूर मौसी जी के पास रहकर पढ़ाई की मौसा जी की कविताओं में अत्यधिक रुचि होने के कारण पढ़ाई के साथ–साथ साहित्य जगत से भी परिचय हुआ उनके साथ बैठकर कविताएं सुनना, पढ़ना अच्छा लगता था यहीं से शुरू हुआ मन के भावों को टूटे–फूटे शब्दों में पिरोने का सिलसिला । उम्र बढ़ती गई लेखन के प्रति रुझान भी बढ़ता गया ।पापा के विचारों ने सोच को विस्तार दिया और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी और कई लोगों का सहयोग मिला ।कुछ उठाने वाले मिले तो कुछ गिराने वाले दोनों से ही कुछ नया सीखने को मिला । जिंदगी के सफर में मिले अनुभवों और विचारों ने ही कविता को जन्म दिया जैसे दोहरे किरदारो में जीने वाले लोग, कौओं का शोर, छूटते अपने, बिखरते सपने, गरीबों की हाय, बेसहारा गाय, झूठे वादे, सच्चे इरादे, माँ का प्यार, पापा का दुलार, भाई का झगड़ा, बहन का नखरा, अपनत्व की कमी, रिश्तो में नमी, जिम्मेदारियों का भार, जीवन का सार, दुनिया की रीति, अपनों की प्रीति, डूबती कश्तियां, बचपन की मस्तियां, शादी का मंडप, मौत का तांडव, सपनों का शहर, प्रकृति का कहर, अपनेपन का हवाला, दहेज की ज्वाला, समाज में घट रही इन्हीं सब घटनाओं को शब्दों में पिरोने का प्रयास किया । कभी कलियों से बिखरे जीवन के दुःख का अनुभव किया तो कभी फूलों के मुस्कुराने का एहसास । कभी मन की कल्पनाओं को आकार दिया तो कभी कविताओं में सचित्र वर्णन कर दिया और जब इन सब का आकलन किया तो साकार सपनों से ज्यादा अधूरी ख्वाहिशों को पाया । इस कृति के लेखन की प्रेरणा मिली ‘चल के देखेंगे’ के लेखक आदरणीय बड़े भाई श्री पोषराज मेहरा जी से और इस सपने को साकार करने में मेरा साथ दिया मेरे मम्मी पापा ने जिन्होंने किताबें तो नहीं पढ़ी लेकिन मेरे बचपन से लेकर इस किताब तक के सफर में उनकी अहम भूमिका रही और कुछ दोस्तों का सहयोग भी मिला । समाज में रहकर जो खट्टे–मीठे अनुभव मिले उन सभी का संग्रह मेरी पहली कृति के रूप में ‘अधूरी ख्वाहिशें’ आप सुधि पाठकों के सम्मुख है । आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा । विनीता धाकड़