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Adhyatma Darshan
Adhyatma Darshan

About this issue

सत्य से साक्षात्कार के कारण भारतीय दार्शनिकों को प्रत्येक वस्तु का समग्र ज्ञान रहा है। सत्पुरुषों की संगत में ही मनुष्य को ज्ञान मिलता है। मनुष्य का अन्तर्जगत सब जीवों से उच्चतर है। उसकी व्यवस्था जगत परमेश्वर की अद्भुत कुशलता की द्योतक है। वाल्मीकि, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई आदि अनेक संत साहित्यकारों ने इस दुनिया को अनेक महाग्रंथ दिये जिससे आज का जनमानस लाभ उठा रहा है। मेरे मन में भी विचार आया कि मेरे तीन आलेख जो धर्म-अध्यात्म पर प्रकाश डालते हैं को एक पुस्तक आकार में प्रकाशित करवाया जाये। भारत के विश्वविख्यात हिन्दी साहित्यकार डॉ. राम सिंह जी से मैं कई वर्षों से हिंदी प्रचार-प्रसार को लेकर जुड़ा हुआ हूँ, से बातचीत की। मैंने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए डॉ. राम सिंह जी को कहा कि हमारे दोनों के धर्म-अध्यात्म आलेखों को साझा करते हुए एक पुस्तक का प्रकाशन करवाया जा सकता है। डॉ. राम जी ने मेरे सुझाव को सहर्ष स्वीकार कर लिया तथा आपस में एक शीर्षक तय हुआ "अध्यात्म दर्शन" और कुछ ही समय में डॉ. राम सिंह जी के द्वारा तन, मन और धन से किया गया प्रयास सफल रहा। पुस्तक अध्यात्म-दर्शन सुधी पाठकगण के समक्ष प्रस्तुत है। इसी आशा और विश्वास के साथ की पुस्तक अध्यात्म-दर्शन पाठकगण को अवश्य लाभ पहुँचायेगी। पुस्तक आजीवन मूल्य रहित रहेगी। यह सुझाव डॉ. राम सिंह ने मुझे दिया जिससे मैं पूर्णतः सहमत हूँ।

About Adhyatma Darshan

सत्य से साक्षात्कार के कारण भारतीय दार्शनिकों को प्रत्येक वस्तु का समग्र ज्ञान रहा है। सत्पुरुषों की संगत में ही मनुष्य को ज्ञान मिलता है। मनुष्य का अन्तर्जगत सब जीवों से उच्चतर है। उसकी व्यवस्था जगत परमेश्वर की अद्भुत कुशलता की द्योतक है। वाल्मीकि, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई आदि अनेक संत साहित्यकारों ने इस दुनिया को अनेक महाग्रंथ दिये जिससे आज का जनमानस लाभ उठा रहा है। मेरे मन में भी विचार आया कि मेरे तीन आलेख जो धर्म-अध्यात्म पर प्रकाश डालते हैं को एक पुस्तक आकार में प्रकाशित करवाया जाये। भारत के विश्वविख्यात हिन्दी साहित्यकार डॉ. राम सिंह जी से मैं कई वर्षों से हिंदी प्रचार-प्रसार को लेकर जुड़ा हुआ हूँ, से बातचीत की। मैंने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए डॉ. राम सिंह जी को कहा कि हमारे दोनों के धर्म-अध्यात्म आलेखों को साझा करते हुए एक पुस्तक का प्रकाशन करवाया जा सकता है। डॉ. राम जी ने मेरे सुझाव को सहर्ष स्वीकार कर लिया तथा आपस में एक शीर्षक तय हुआ "अध्यात्म दर्शन" और कुछ ही समय में डॉ. राम सिंह जी के द्वारा तन, मन और धन से किया गया प्रयास सफल रहा। पुस्तक अध्यात्म-दर्शन सुधी पाठकगण के समक्ष प्रस्तुत है। इसी आशा और विश्वास के साथ की पुस्तक अध्यात्म-दर्शन पाठकगण को अवश्य लाभ पहुँचायेगी। पुस्तक आजीवन मूल्य रहित रहेगी। यह सुझाव डॉ. राम सिंह ने मुझे दिया जिससे मैं पूर्णतः सहमत हूँ।