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Bhartiya Sanskriti ke Sapt Aadhargranth  भारतीय संस्कृति या सप्त आधार ग्रंथ
Bhartiya Sanskriti ke Sapt Aadhargranth  भारतीय संस्कृति या सप्त आधार ग्रंथ

Bhartiya Sanskriti ke Sapt Aadhargranth भारतीय संस्कृति या सप्त आधार ग्रंथ

By: ANURADHA PRAKASHAN (??????? ??????? ?????? )
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About this issue

मैं मूल रूप से एक समाजशात्री हूँ मानव विज्ञानी हूँ और साथ में हूँ प्रसारणकर्मी-मीडियाकर्मी- मैं कोई साहित्यकार नहीं हूँ पर कुछ हद तक साहित्यानुरागी हूँ - साहित्याभिरूचि है मुझमें। मैं भी साहित्यकार हो सकता था - घर के माहौल में साहित्य है, घर के वातावरण में साहित्य है, घर की बातचीत में साहित्य है, घर के वार्तालाप में साहित्य है, घर के विचार-विमर्श में साहित्य है, घर के वाद-प्रतिवाद में साहित्य है, घर के कण कण में साहित्य है।
तरह तरह के विचार मन में आते रहे हैं, उमड़ घुमड़ करते रहे हैं, खलबली मचाते रहे हैं। पर मैं उन्हें कलमबद्ध नहीं कर सका। अगर उन सब विचारों को मेरी लेखनी का सहारा मिल जाता तो साहित्य-संसार में अवश्यमेव भूचाल आ जाता।

About Bhartiya Sanskriti ke Sapt Aadhargranth भारतीय संस्कृति या सप्त आधार ग्रंथ

मैं मूल रूप से एक समाजशात्री हूँ मानव विज्ञानी हूँ और साथ में हूँ प्रसारणकर्मी-मीडियाकर्मी- मैं कोई साहित्यकार नहीं हूँ पर कुछ हद तक साहित्यानुरागी हूँ - साहित्याभिरूचि है मुझमें। मैं भी साहित्यकार हो सकता था - घर के माहौल में साहित्य है, घर के वातावरण में साहित्य है, घर की बातचीत में साहित्य है, घर के वार्तालाप में साहित्य है, घर के विचार-विमर्श में साहित्य है, घर के वाद-प्रतिवाद में साहित्य है, घर के कण कण में साहित्य है।
तरह तरह के विचार मन में आते रहे हैं, उमड़ घुमड़ करते रहे हैं, खलबली मचाते रहे हैं। पर मैं उन्हें कलमबद्ध नहीं कर सका। अगर उन सब विचारों को मेरी लेखनी का सहारा मिल जाता तो साहित्य-संसार में अवश्यमेव भूचाल आ जाता।