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Jagran Sandesh
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About this issue

प्रस्तुत पुस्तक “जागरण संदेश" की रचना आधुनिक जीवनशैली तथा वैचारिक परिवर्तन जो भौतिकवाद से प्रभावित अपनी मौलिकता खोती जा रही है, का परिमार्जन कर गरिमामयी संस्कृति तथा मानवीय मूल्यों की स्थापना के उद्देश्य से की गई है। इस पुस्तक के माध्यम से जनमानस में आस्तिक भाव पैदा कर उनकी भौतिकवादी मानसिकता को बदलकर सांस्कृतिक तथा मानवीय मूल्यों की स्थापना का प्रयास किया गया है। सामाजिक-राजनैतिक विसंगतियों पर प्रकाश डाल कर उनमें सुधार की अपेक्षा की गई है साथ ही मानव का प्रकृति से होते जा रहे अलगाव को मिटाकर इसके साथ घुल-मिल कर रहने की प्रेरणा दी गई है जिससे मानव-जीवन सरल आनंदमय तथा स्वस्थ हो। पुस्तक को परंपरागत छंदोबद्ध शैली में लिखने का प्रयास किया गया है।
आशा है कि यह पुस्तक अपने मौलिक लक्ष्य को प्राप्त करते हुए सामाजिक, वैचारिक तथा सांस्कृतिक परिमार्जन का साधन बनेगी। काव्य रचना में हुए अभिव्यक्ति तथा व्याकरण संबंधी भूलों के लिए पाठकों से क्षमा प्रार्थी हूँ तथा इनमें सुधार संबंधी परामर्श का आकांक्षी हूँ।

About Jagran Sandesh

प्रस्तुत पुस्तक “जागरण संदेश" की रचना आधुनिक जीवनशैली तथा वैचारिक परिवर्तन जो भौतिकवाद से प्रभावित अपनी मौलिकता खोती जा रही है, का परिमार्जन कर गरिमामयी संस्कृति तथा मानवीय मूल्यों की स्थापना के उद्देश्य से की गई है। इस पुस्तक के माध्यम से जनमानस में आस्तिक भाव पैदा कर उनकी भौतिकवादी मानसिकता को बदलकर सांस्कृतिक तथा मानवीय मूल्यों की स्थापना का प्रयास किया गया है। सामाजिक-राजनैतिक विसंगतियों पर प्रकाश डाल कर उनमें सुधार की अपेक्षा की गई है साथ ही मानव का प्रकृति से होते जा रहे अलगाव को मिटाकर इसके साथ घुल-मिल कर रहने की प्रेरणा दी गई है जिससे मानव-जीवन सरल आनंदमय तथा स्वस्थ हो। पुस्तक को परंपरागत छंदोबद्ध शैली में लिखने का प्रयास किया गया है।
आशा है कि यह पुस्तक अपने मौलिक लक्ष्य को प्राप्त करते हुए सामाजिक, वैचारिक तथा सांस्कृतिक परिमार्जन का साधन बनेगी। काव्य रचना में हुए अभिव्यक्ति तथा व्याकरण संबंधी भूलों के लिए पाठकों से क्षमा प्रार्थी हूँ तथा इनमें सुधार संबंधी परामर्श का आकांक्षी हूँ।