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Meri Kalam se मेरी कलम से
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By: ANURADHA PRAKASHAN (??????? ??????? ?????? )
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About this issue

जीवन में कुछ परिस्थितियों पर जब आपका नियन्त्रण आपके हाथों में नहीं रहता है तो आप अपने आप को अकेला महसूस करते हैं और कुछ नहीं कह सकते। तब लेखनी एक सच्चे दोस्त की तरह आपका सहयोग करती है। कविताएं कैसी भी हो, कुछ लिखने में कहीं त्रुटि हो, परन्तु कविताएं लिखने वाले की भावनाएं और उस समाज की मनोदशा को प्रदर्शित करतीं हैं। हमने जीवन में बहुत ही उतार चढ़ाव देखा, जिनको हमने आत्मसात कर लिया। अपने अनुभव और दूसरे के द्वारा दिए गए अनुभव को संकलित किया। यहां पर लोग आपको गिराने में सबसे आगे रहते हैं, परन्तु जब उठाने की बात होगी तो दूर-दूर तक कोई नज़र नहीं आता है। हमने सामाजिक संरचना को अव्यवस्थित कर दिया है, जहां लोग तो हजारों और लाखों है, पर अपना कहलाने वाले कुछ गिनती के लोग। यहां पर लोग आपकी भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। अन्दर से टूटे हुए लोगों के लिए हमें विशेष संवेदना दिखानी होगी। किसी को खोकर अफसोस करने से तो अच्छा ही होगा।

About Meri Kalam se मेरी कलम से

जीवन में कुछ परिस्थितियों पर जब आपका नियन्त्रण आपके हाथों में नहीं रहता है तो आप अपने आप को अकेला महसूस करते हैं और कुछ नहीं कह सकते। तब लेखनी एक सच्चे दोस्त की तरह आपका सहयोग करती है। कविताएं कैसी भी हो, कुछ लिखने में कहीं त्रुटि हो, परन्तु कविताएं लिखने वाले की भावनाएं और उस समाज की मनोदशा को प्रदर्शित करतीं हैं। हमने जीवन में बहुत ही उतार चढ़ाव देखा, जिनको हमने आत्मसात कर लिया। अपने अनुभव और दूसरे के द्वारा दिए गए अनुभव को संकलित किया। यहां पर लोग आपको गिराने में सबसे आगे रहते हैं, परन्तु जब उठाने की बात होगी तो दूर-दूर तक कोई नज़र नहीं आता है। हमने सामाजिक संरचना को अव्यवस्थित कर दिया है, जहां लोग तो हजारों और लाखों है, पर अपना कहलाने वाले कुछ गिनती के लोग। यहां पर लोग आपकी भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। अन्दर से टूटे हुए लोगों के लिए हमें विशेष संवेदना दिखानी होगी। किसी को खोकर अफसोस करने से तो अच्छा ही होगा।