लेखक की कलम, उसका गहन दृष्टिकोण, उसकी कल्पनाशक्ति, संवेदना, उसके अनुभव, जीवन के विभिन्न पहलुओं में से किसी विशेष पात्र को उठाकर जब चलती है तो उसमें सजीवता खुद ब खुद झलकने लगती है।
लेखक का सदैव यही प्रयास रहता है कि अपनी लेखन शैली से वह व्यक्ति, परिवार, समाज, देश को सकारात्मक संदेश दे सके।
मैं भी हाइकु, कविताएं, लघुकथा, कहानियां लिखती हूं और हमेशा यही प्रयास करती हूं कि ऐसा लिखूं कि लोगों को अच्छा पढ़ने के लिए मिले।
एक साहित्यकार को भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण रख, शोधात्मक होना चाहिए। अपने घर, परिवार, अपने आस-पास के परिवेश में वह इतना तो अध्ययन कर ही सकता है कि लोग क्या पढ़ना चाहते हैं? किस तरह का साहित्य पसंद किया जा रहा है विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच...!
एक लेखक कितनी भी अच्छी कलम क्यों न चलाता हो लेकिन अपनी इच्छाओं और अपने विचारों को किसी पर थोप नहीं सकता..।
जब उसकी कलम पाठकों की पसंद नापसंद के अनुरूप चलेगी तभी उसकी लेखनी की सार्थकता सिद्ध होगी।
मैंने नोटिस किया कि युवा वर्ग लंबी कहानी न पढ़ते हुए छोटी कहानियां ज्यादा पसंद करता है। तब मैंने लघुकथा लिखना प्रारम्भ किया।
उद्देश्य (राह) सही हो तो मंजिल सरलता से मिलती है।
लघुकथा लिखते समय मैंने सोचा कि मेरा जन्म तो बस्तर अंचल में हुआ और मैं वहां की आदिवासी परंपराओं, रीति रिवाज को देखती समझती रही हूं, वहां की सुरम्य प्रकृति, वहां की मिट्टी, लोककला, नृत्य आदि का मेरे जीवन पर बहुत प्रभाव रहा... तो क्यों न बस्तर को लोगों तक पहुंचाया जाए ?
लेखक की कलम, उसका गहन दृष्टिकोण, उसकी कल्पनाशक्ति, संवेदना, उसके अनुभव, जीवन के विभिन्न पहलुओं में से किसी विशेष पात्र को उठाकर जब चलती है तो उसमें सजीवता खुद ब खुद झलकने लगती है।
लेखक का सदैव यही प्रयास रहता है कि अपनी लेखन शैली से वह व्यक्ति, परिवार, समाज, देश को सकारात्मक संदेश दे सके।
मैं भी हाइकु, कविताएं, लघुकथा, कहानियां लिखती हूं और हमेशा यही प्रयास करती हूं कि ऐसा लिखूं कि लोगों को अच्छा पढ़ने के लिए मिले।
एक साहित्यकार को भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण रख, शोधात्मक होना चाहिए। अपने घर, परिवार, अपने आस-पास के परिवेश में वह इतना तो अध्ययन कर ही सकता है कि लोग क्या पढ़ना चाहते हैं? किस तरह का साहित्य पसंद किया जा रहा है विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच...!
एक लेखक कितनी भी अच्छी कलम क्यों न चलाता हो लेकिन अपनी इच्छाओं और अपने विचारों को किसी पर थोप नहीं सकता..।
जब उसकी कलम पाठकों की पसंद नापसंद के अनुरूप चलेगी तभी उसकी लेखनी की सार्थकता सिद्ध होगी।
मैंने नोटिस किया कि युवा वर्ग लंबी कहानी न पढ़ते हुए छोटी कहानियां ज्यादा पसंद करता है। तब मैंने लघुकथा लिखना प्रारम्भ किया।
उद्देश्य (राह) सही हो तो मंजिल सरलता से मिलती है।
लघुकथा लिखते समय मैंने सोचा कि मेरा जन्म तो बस्तर अंचल में हुआ और मैं वहां की आदिवासी परंपराओं, रीति रिवाज को देखती समझती रही हूं, वहां की सुरम्य प्रकृति, वहां की मिट्टी, लोककला, नृत्य आदि का मेरे जीवन पर बहुत प्रभाव रहा... तो क्यों न बस्तर को लोगों तक पहुंचाया जाए ?