logo

Get Latest Updates

Stay updated with our instant notification.

logo
logo
account_circle Login
UPNISHAD EK KAVYA YATRA
UPNISHAD EK KAVYA YATRA

UPNISHAD EK KAVYA YATRA

By: ANURADHA PRAKASHAN (??????? ??????? ?????? )
151.00

Single Issue

151.00

Single Issue

About UPNISHAD EK KAVYA YATRA

आत्म कथ्य -------------- उपनिषद ,जिनमे आदि चिन्तनशील मानव की दृश्य अदृश्य प्रकृति से सम्बद्ध सारी   जिझासाएँ समाहित हैं,और स्वानुभूत उनके उत्तर भी; ब्रह्मविद्या से सम्बद्ध गुरू- शिष्य संवाद के माध्यम सेप्राप्तज्ञानके रूप में वैदिक साहित्य के अन्यतम अंश हैं।  मैने कुछ उपनिषदों के भीतर एक काव्ययात्रा करने की चेष्टा की है।बिल्कुल सीधे मार्ग पर चलनेवाली यह यात्रा उपनिषदों के श्लोकार्थों से जरा भी भटके बिना ही आगे बढ़ी है।न ज्यादा ,न ही कम। जितना लिखा है,बस उतना ही। अपनी ओर से कुछ भी जोड़ने घटाने व साज सज्जा करने की धृष्टता नहीं की है। व्याख्याएँ तो विद्वानों ने बहुत की हैं, पर, सामान्य पाठक इसे अपनी दृष्टि से देख सकें, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसका आकलन कर सकें , अतः गीता प्रेस की पुस्तक ईशादि नौ उपनिथद्  को आधार मानकर मैंनेअति अल्पज्ञताके कारण शब्दकोशों एवं उपरोक्त ग्रंथमें दिये शब्दार्थों की सहायता से ही यह कार्य करने का साहस किया है।यह सुहृद पाठकों पर ही निर्भर करता है कि वे इसे कितना पसन्द करते हैं।     आशा सहाय