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Himmat Hai: हिम्मत है!
Himmat Hai: हिम्मत है!

Himmat Hai: हिम्मत है!

By: Diamond Books
300.00

Single Issue

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Single Issue

  • Thu Nov 02, 2017
  • Price : 300.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi

About Himmat Hai: हिम्मत है!

‘मैंने देखा कि उच्चस्तरीय नौकरशाहों का गुट पुलिस नेतृत्व को हाशिए पर ला रहा है, जो कि राष्ट्र व उसकी प्रजा के लिए हानिकारक है और आज उसके परिणाम हम सबके सामने हैं। भारतीय पुलिस के पास जनता का भरोसा नहीं है----’इस पूर्णतया संशोधित व परिवर्द्धित संस्करण में आप पाएँगे कि किस प्रकार किरण बेदी की अपनी सेवा के कुछ सदस्यों तथा विशेष नौकरशाहों ने मिलकर पुलिस सुधारो को व्यर्थ करना चाहा, जिन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार क्रियान्वित किया जाना था। इन्हीं लोगों ने पुलिस कमिश्नर के रूप में उनकी नियुक्ति में भी बाधा डाली। इस प्रकार विध्वंस ही वह आखिरी चरण था, जिसने उन्हें इन बंधनों से बाहर आने पर विवश कर दिया। एक लंबी व प्रशंसनीय पारी (कुल पैंतीस वर्ष) के बाद किरण बेदी ने आगे बढ़ने का फैसला ले लिया। उन्हें लगा कि अब वे ऐसे व्यक्तियों के साथ और काम नहीं कर सकती थीं, जो तंत्र को दास बना रहे थे। उन्होंने दृढ़ निश्चय कर रखा था कि वे इन विध्वंसकों की अधीनस्थ बनकर कार्य नहीं करेंगी। ऐसे व्यक्ति दूसरों को बौना बनाने, पहल को कुचलने व मनोबल तोड़ने के सिवा कौन-सा मार्गदर्शन या दिशा-निर्देश दे सकते थे? वे ऐसे अविश्वसनीय इतिहास का एक अंग नहीं बनना चाहती थीं। जैसा कि वे कहती हैं- ‘‘मेरे आत्मसम्मान, न्याय की सहज शक्ति, जीवन में मूल्य तथा विश्वास ने, राह में आने वाले व वृद्धि को रोकने वाली बाधाओं से पार पाने की प्रेरणा दी और अब मैंने तय कर लिया है कि मैं स्वयं को मुक्त करके अपने समय की खुद स्वामिनी बनूँगी।’’ रोमांच, जीवंतता व प्रेरणा से भरपूर रोचक गाथा---