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Jaishankar Prasad Granthawali Janamejaya Ka Naag Yagya (Dusra Khand Natak) - जय शंकर प्रसाद ग्रंथावली जन्मेजय का नाग यज्ञ (दूसरा खंड - नाटक)
Jaishankar Prasad Granthawali Janamejaya Ka Naag Yagya (Dusra Khand Natak) - जय शंकर प्रसाद ग्रंथावली जन्मेजय का नाग यज्ञ (दूसरा खंड - नाटक)

Jaishankar Prasad Granthawali Janamejaya Ka Naag Yagya (Dusra Khand Natak) - जय शंकर प्रसाद ग्रंथावली जन्मेजय का नाग यज्ञ (दूसरा खंड - नाटक)

By: Diamond Books
100.00

Single Issue

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Single Issue

  • Tue Jun 16, 2020
  • Price : 100.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi

About Jaishankar Prasad Granthawali Janamejaya Ka Naag Yagya (Dusra Khand Natak) - जय शंकर प्रसाद ग्रंथावली जन्मेजय का नाग यज्ञ (दूसरा खंड - नाटक)

जिस समय खड़ी बोली और आधुनिक हिन्दी साहित्य किशोरावस्था में पदार्पण कर रहे थे। काशी के 'सुंघनी साहु' के प्रसिद्ध घराने में श्री जयशंकर प्रसाद का संवत् 1946 में जन्म हुआ। व्यापार में कुशल और साहित्य सेवी - आपके पिता श्री देवी प्रसाद पर लक्ष्मी की कृपा थी। इस तरह प्रसाद का पालन पोषण लक्ष्मी और सरस्वती के कृपापात्र घराने में हुआ। प्रसाद जी का बचपन अत्यन्त सुख के साथ व्यतीत हुआ। आपने अपनी माता के साथ अनेक तीर्थों की यात्राएं की। पिता और माता के दिवंगत होने पर प्रसाद जी को अपनी कॉलेज की पढ़ाई रोक देनी पड़ी और घर पर ही बड़े भाई श्री शम्भुरत्न द्वारा पढ़ाई की व्यवस्था की गई। आपकी सत्रह वर्ष की आयु में ही बड़े भाई का भी स्वर्गवास हो गया। फिर प्रसाद जी ने पारिवारिक ऋण मुक्ति के लिए सम्पत्ति का कुछ भाग बेचा। इस प्रकार आर्थिक सम्पन्नता और कठिनता के किनारों में झूलता प्रसाद का लेखकीय व्यक्तित्व समृद्धि पाता। गया। संवत् 1984 में आपने पार्थिव शरीर त्यागकर परलोक गमन किया।