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Kotuhal (कौतूहल - दादी की सुनाई कहानियां)
Kotuhal (कौतूहल - दादी की सुनाई कहानियां)

Kotuhal (कौतूहल - दादी की सुनाई कहानियां)

By: Diamond Books
125.00

Single Issue

125.00

Single Issue

  • Wed May 26, 2021
  • Price : 125.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi

About Kotuhal (कौतूहल - दादी की सुनाई कहानियां)

कौतूहल कितना अजीब शब्द है। है, ना? अनजानी चीजों के प्रति हमारा जो आकर्षण होता है, उनके बारे में जिज्ञासा होती है, उनके आसपास हम जितनी कपोल-सच्ची और झूठी कल्पनाएँ गढ़ते हैं, वही तो कौतूहल है। मेरी दादी जो कि इस किताब की किस्सागोईो हैं, कहती हैं, शायद कौतूहल शब्द कुमाऊँनी भाषा के कौतिक शब्द का भाई-बंधु है। कुमाऊँनी भाषा में कौतिक का मतलब है, नाटक या प्रहसन। "तो ऐसे कौतिक देखने से पहले जो भावना आने वाली ठहरी, वो हुई कौतूहल।" ऐसा दादी का मानना है। दादा दादी के गाँव जाने का मेरा मन नहीं होता था। दिल्ली का शोरगुल मुझे पसंद था। उसके उलट चम्पावत की निर्जन शांति। मैं हमेशा मना कर देती थी, “नहीं जाना मुझे गाँव। आप लोग हो आइए। इन पाँच दिनों में मैं अपने दोस्तों के साथ मजे करूँगी।".