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Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala
Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala

Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala

By: Diamond Books
150.00

Single Issue

150.00

Single Issue

  • स्वयं को और दूसरों को पहचानने की कला
  • Price : 150.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi

About Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala

पहचान पर ही सब कुछ टिका है। फिर वह किसी रास्ते की हो या इंसान की, स्वयं की हो या किसी दूसरे की। बिना पहचान के भटकाव निश्चित है। बिना पहचान के हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं या फिर कल्पना ही कर सकते हैं, पर जीवन में अंदाजों एवं कल्पनाओं से काम नहीं चलता। व्यावहारिकता एवं सक्रियता चाहिए। बोध और आत्मविश्वास चाहिए। इसलिए हर चीज की, सही-गलत की, स्वयं की और दूसरे की पहचान जरूरी है। जब हम खुद की पहचान करते हैं तो यह जरूरी नहीं कि वहां हम मिल ही जाएं। क्योंकि वहां सिर्फ हम नहीं होते और भी बहुत कुछ होता है, बहुत लोग होते हैं। और कभी-कभार तो सब मिल जाते हैं, बस हम ही नहीं मिलते, इसलिए खुद में खुद को ढूंढ़ना और पहचानना एक कला भी है और जरूरी भी है। और रहा सवाल दूसरे का, जिसे हम दूसरा कहते हैं, वह दूसरा केवल बाहर ही हो यह जरूरी नहीं, हमारे अंदर भी होता है। इसलिए दूसरे को पहचाना भी एक कला है। सच तो यह है कि इसे पहचानना भी एक कला है। कैसे पहचाने स्वयं को और दूसरों को? जानिए इस पुस्तक से।