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51 Shreshtha Vyangya Rachnaen Vinod Shankar Shukla
51 Shreshtha Vyangya Rachnaen Vinod Shankar Shukla

51 Shreshtha Vyangya Rachnaen Vinod Shankar Shukla

By: Diamond Books
125.00

Single Issue

125.00

Single Issue

  • 51 श्रेष्ठ व्‍यंग्‍य रचनाएं विनोद शुक्‍ला
  • Price : 125.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi

About 51 Shreshtha Vyangya Rachnaen Vinod Shankar Shukla

विनोदशंकर शुक्ल को एक गंभीर किंतु सोद्देश्य व्यंग्यकार के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने व्यंग्य की शक्ति को पहचानकर अव्यवस्था की चुनौतियों से जूझने के लिए उसे एक हथियार के रूप में प्रयोग किया है। यूँ तो शुक्ल जी ने जीवन और जगत के विविध क्षेत्रों पर प्रहारात्मक व्यंग्य किए हैं, किंतु शिक्षा और राजनीतिक क्षेत्र की विसंगतियों पर उनके प्रहार विशेष मारक हैं। विनोद जी के लिए व्यंग्य केवल हँसने-गुदगुदाने का माध्यम नहीं रहा, उन्होंने इसे विसंगतियों और विडंबनाओं से लड़ने के लिए अस्त्र के रूप में प्रयोग किया है। विनोद जी कहते हैं कि जब नग्नताएँ ढकी-मुँदी नहीं थीं तो उन्हें नग्न करना आसान था। आज सारी नग्नताएँ प्रत्यक्ष दिखाई दे रही हैं। इसके बावजूद व्यंग्य को अपना धर्म निभाना है। व्यंग्य और व्यंग्य की अवस्था पर प्रस्तुत हैं श्री विनोदशंकर शुक्ल से बातचीत के महत्त्वपूर्ण अंश।