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Paristhiti Aur Manasthiti
Paristhiti Aur Manasthiti

Paristhiti Aur Manasthiti

By: Rajmangal Publishers (Rajmangal Prakashan)
69.00

Single Issue

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About Paristhiti Aur Manasthiti

कविता के बिना जीवन संभव नहीं है। इंसान की अंत:प्रकृति को उजागर करती कविता, ह्रदय-विस्तार करती कविता, प्रकृति और समाज से जोडती कविता, इंसानियत प्रदान करती कविता, कवि के लिए स्वयं का आत्म-विश्लेषण कराती कविता, मानव व्यक्तित्व की सार्थकता पर प्रश्न चिन्ह लगाती कविता, जीवन की अनुभूतियों को तुकबंदी शब्दों से व्यक्त कराती कविता, कविता का मकसद पढने वाले को भावनाओं के ऐसे शिखर पर ले जाना है जहाँ उसको स्वर्ग का आभास हो और भावनाएँ तरंग-रुपी अभिताप में गोते लगाएँ। इस कविता संग्रह में किसी एक विशिष्ट कविता शैली की कविताएँ नहीं हैं, न ही ये कविताएँ किसी एक भाव या रस से प्रेरित हैं। इन कविताओं को बांधती कोई समान विषयवस्तु भी नहीं है। मन की व्यथा के समक्ष जब मनुष्य अभिभूत हो जाता है तो यही वैषम्य उसकी अंत:प्रेरणा बनकर उसे कविता लिखने के लिए मज़बूर कर देता है। शत कविताओं का यह संकलन, विरूप परिज्ञानों से संकलित इसी पीड़ा की अभिव्यक्ति है। - वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं हिन्दी लेखक डॉ. भारत खुशालानी (Ph.D) का जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। इन्होंने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, अमेरिका (California University, America) से वर्ष 2004 में डॉक्टरेट (Ph.D) कि डिग्री प्राप्त की है। फ़िलहाल डॉ. भारत सहालकार (कंसल्टेंट) के तौर पर कार्य करते हैं। इनकी प्रकाशित महत्वपूर्ण कृतियों में 52 शोधकार्य और रिपोर्ट शामिल हैं जो अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में अनेकों लेख, कविताएँ एवं कहानियाँ हो चुकी हैं। इनके द्वारा लिखी प्रकाशित 8 किताबें: भारत में प्रकाशित : 1). कोरोनावायरस 2). कोरोनावायरस को जो हिन्दुस्तान लेकर आया 3). परीक्षण ; अमेरिका में प्रकाशित : 4). समतल बवंडर 5). उपग्रह 6). भवरों के चित्र 7). लॉस एंजेलेस जलवायु ; कैनेडा में प्रकाशित : 8). सौर्य मंडल के पत्थर हैं।