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KALYUG KA ANT
KALYUG KA ANT

KALYUG KA ANT

By: Rigi Publication
70.00

Single Issue

70.00

Single Issue

  • Fri Sep 17, 2021
  • Price : 70.00
  • Rigi Publication
  • Language - Hindi

About KALYUG KA ANT

कलियुग का अंत' एक काव्य रचना है, जिसमें 'कलियुग' युग का प्रतिनिधित्व करता है, और संसार के सभी दुष्ट, अनाचारी और सामर्थ्यशाली लोगों का नायक है। विधि के विधान के अनुसार 'कलियुग' सभी यंत्रों एवं तत्रों से सुसज्जित और अजेय है। जब कलियुग में आसुरी प्रवृत्ति के लोगों के पाखण्ड से धरती त्राहि-त्राहि करने लगी तब ईश्वर ने युग के पाखण्ड का भेद खोलने शिव के आधे अंश यानि शव (शक्तिविहीन शिव) को लाचार रूप में धरती पर भेजा ताकि दुनियाँ को दिखाया जाये कि स्वार्थ में दिन-रात ईश्वर के सामने फ़ैलने वाले हाथ जब ईश्वर को लाचार देखते हैं तो कैसा व्यवहार करते हैं ? काव्य में सुर-असुर के संघर्ष की सांकेतिक गाथा है, जिसे अर्थ पाने के लिए 'कलियुग' के अंत का इंतजार है । निश्चय ही हिन्दू धर्म की अवधारणा के अनुसार कालांतर असुरों के अंत के बाद नए युग द्वारा असुरों द्वारा प्रताड़ित शिव के शव को श्री हरि सहित पाँच देवताओं के प्रयासों के कारण अलग-अलग अवतारों में महिमा मंडित किया जाएगा, साथ ही उनका जन्म स्थान भी एक तीर्थस्थान के रूप में विश्व विख्यात हो जाएगा । काव्य में देव,असुर सभी युग के अनुरूप हैं ,साथ ही विज्ञान और तर्क दोनों की दृष्टि से व्यवहारिक भी हैं। काव्य में सांकेतिक भाषा का प्रयोग किया गया है । प्रवीण कुमार का मानना है कि बहुत बातें जो हम विभिन्न वजहों से नहीं कह पाते हैं, काव्य में संकेतों के माध्यम से बिना लक्ष्मण रेखा उल्लंघन के कह जाते हैं ।