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Uday Sarvodaya
Uday Sarvodaya
  • UDAY SARVODAYA_July_2017
  • Uday Sarvodaya
  • Language - Hindi
  • Published monthly

About this issue

आजादी के वक्त एक उम्मीद थी कि अगली सुबह मुल्क में एक नई रोशनी आएगी, जिसमें सब नहाकर पाक हो उठेंगे. नए निजाम में, देसी हुक्मरानों के बीच मुल्क में अमन-चैन कायम होगा... समाज में सौहार्द बना रहेगा... सब भाई-भाई होंगे... लेकिन आजादी के बाद ऐसी उम्मीद बेमानी साबित हुई. मुल्क ने अपना सफर भारी संदेह और वैमनस्य के माहौल में शुरू किया. ऐसे में जरूरत थी इसे सामान्य बनाने की थी, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व ने अपने फायदे के लिए सांप्रदायिकता का हर संभव इस्तेमाल किया. हिंदू और मुसलमान, जिन्हें करीब आना चाहिए... दूर होते चले गए. सामाजिक सौहार्द के इस संकट काल में भी मुल्क में तमाम ऐसे किरदार हैं, जिनके लिए मजहब या वर्ग कोई मायने नहीं रखता. ये इंसान को इंसान के चश्मे से देखते हैं और इंसानियत के लिए ही जीते हैं. इनका एक ही मजहब है- भाईचारा. मदद करने को हमेशा तत्पर... मुश्किल वक्त में हमेशा साथ खड़े. अगर समाज में कोई असली नायक है तो ये ही हैं. सामाजिक सौहार्द के ऐसे ही नायकों और संस्थाओं पर ‘उदय सर्वोदय’ की विशेष प्रस्तुति. पढ़िए जुलाई अंक में...

About Uday Sarvodaya

समाचार पत्र-पत्रिकाओं की भीड़ से अलग बहुजन हित व सर्वोदय की आवाज़ उठाने की एक पहल.