वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में दुनिया को एक परिवार की तरह माना जा रहा है। मतलब मौजूदा समाज अपने घर के दायरे से बाहर दुनिया को भी परिवार के माहौल जैसे अहसासगी को मान्यता देने की सोच रखने लगा है। जबकि सच्चाई ये है कि इस तरह की महसूसगी के साथ जीवन यापन करने में समर्थ देश का चुनिंदा समाज ही हो सकता हैं। क्योंकि सामान्य व्यक्ति के पास बहुत सारी ऐसी दुश्वारियाँ होती हैं जिनकी वजह से वो चाहकर भी इस तथाकथित प्रगतिवादी सोच को आत्मसात नहीं कर पाता। ऐसे लोगों की ही तादाद समाज में ज्यादा है।
ऐसे में मेरा मानना है कि इस वैश्विक सोच को ध्यान में रखते हुए ग्राम्य स्तर पर परिवार को सहेजने और विकास परक योजनाओं को क्रियान्वित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। ऐसा करने से परिणाम कुछ परिवारहित, समाजहित और देशहित में हो सकते हैं। क्योंकि हाल के दिनों में ऐसा देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के दौर में दूर देश में बैठे लोग अपनी पुरखों या जहां अपना बचपना बिताया है उन स्थानों की खबरों को अधिक सर्च कर रहे हैं। अगर रोजी-रोटी की तलाश में विदेश का रुख कर चुके लोगों में यह ललक दिख रही है तो समाज के चिंतकों को इस स्थिति पर भी मनन करना चाहिए। उनके इस सोच को ऐसे योजना के साथ जोड़ने का प्रयास होना चाहिए जिससे उनकी प्रगति और सफलता के लाभ का कुछ अंश ही सही उनकी मिट्टी उनके लोगों तक मिल सके।
कुछ इसी सोच और विश्वास के साथ थिंक ग्लोबली एक्ट लोकली की सोच के साथ जिलास्तरीय न्यूज नेटवर्क की योजना बनाई गई। अब इसे कायदे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर से शुरू किया जा रहा है। इस नेटवर्क में लगभग दो दर्जन डिजिटल चैनलों के साथ एक शहर केंद्रित हिन्दी भाषा में मासिक पत्रिका का भी प्रकाशन शामिल है। नेटवर्क के साथ कुछ वेबसाइट, इवेंट, शार्ट फिल्म प्रोडक्शन, पत्र-पत्रिकाओं का भी जुड़ाव हैं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि जिले के दूरस्थ ग्रामीणाञ्चलों तक फैलाव लिए यह नेटवर्क आने वाले दिनों में बाजार और उपभोक्ता के बीच का एक बेहतर कड़ी साबित हो सकता है...
वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में दुनिया को एक परिवार की तरह माना जा रहा है। मतलब मौजूदा समाज अपने घर के दायरे से बाहर दुनिया को भी परिवार के माहौल जैसे अहसासगी को मान्यता देने की सोच रखने लगा है। जबकि सच्चाई ये है कि इस तरह की महसूसगी के साथ जीवन यापन करने में समर्थ देश का चुनिंदा समाज ही हो सकता हैं। क्योंकि सामान्य व्यक्ति के पास बहुत सारी ऐसी दुश्वारियाँ होती हैं जिनकी वजह से वो चाहकर भी इस तथाकथित प्रगतिवादी सोच को आत्मसात नहीं कर पाता। ऐसे लोगों की ही तादाद समाज में ज्यादा है।
ऐसे में मेरा मानना है कि इस वैश्विक सोच को ध्यान में रखते हुए ग्राम्य स्तर पर परिवार को सहेजने और विकास परक योजनाओं को क्रियान्वित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। ऐसा करने से परिणाम कुछ परिवारहित, समाजहित और देशहित में हो सकते हैं। क्योंकि हाल के दिनों में ऐसा देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के दौर में दूर देश में बैठे लोग अपनी पुरखों या जहां अपना बचपना बिताया है उन स्थानों की खबरों को अधिक सर्च कर रहे हैं। अगर रोजी-रोटी की तलाश में विदेश का रुख कर चुके लोगों में यह ललक दिख रही है तो समाज के चिंतकों को इस स्थिति पर भी मनन करना चाहिए। उनके इस सोच को ऐसे योजना के साथ जोड़ने का प्रयास होना चाहिए जिससे उनकी प्रगति और सफलता के लाभ का कुछ अंश ही सही उनकी मिट्टी उनके लोगों तक मिल सके।
कुछ इसी सोच और विश्वास के साथ थिंक ग्लोबली एक्ट लोकली की सोच के साथ जिलास्तरीय न्यूज नेटवर्क की योजना बनाई गई। अब इसे कायदे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर से शुरू किया जा रहा है। इस नेटवर्क में लगभग दो दर्जन डिजिटल चैनलों के साथ एक शहर केंद्रित हिन्दी भाषा में मासिक पत्रिका का भी प्रकाशन शामिल है। नेटवर्क के साथ कुछ वेबसाइट, इवेंट, शार्ट फिल्म प्रोडक्शन, पत्र-पत्रिकाओं का भी जुड़ाव हैं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि जिले के दूरस्थ ग्रामीणाञ्चलों तक फैलाव लिए यह नेटवर्क आने वाले दिनों में बाजार और उपभोक्ता के बीच का एक बेहतर कड़ी साबित हो सकता है..