सहस्त्र स्वरों और व्यंजनों के संयोग से असंख्य शब्दों की रचना होती है। जो हमारे प्रत्येक पल की अनुभूतियों के गलियों से गुजरते हुए हमारी मनःस्थिती को व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं।
कभी वो भावनाएँ सुख, दुख और भय के सीमाओं को लांघकर तो कभी घृणा, शर्म, आश्चर्य और क्रोध की पगडंडियों से गुजरते हुए एक अविस्मरणीय प्रारूप की रचना करते है जो इस अचंभित करने वाली जगतरुपी हमारी मानसपटल पे भिन्न-भिन्न कलाकृति को रेखांकित करते हैं और शब्दों की उत्पत्ति मे सहायक सिद्ध होते हैं।
परन्तु, अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने की क्षमता सभी मनुष्यों में एक जैसी नहीं होती है। कुछ लोगों के शब्दकोष असीमित होते हैं और वो स्वेच्छापूर्वक उसका उपभोग करते हैं परन्तु कुछ उदाहरण ऐसे भी है जिनके शब्दकोष में शब्दों के भंडार शून्य या फिर सीमित होते हैं। उनकी दुविधा और अन्तर्द्वन्द का उल्लेख इस काव्य संग्रह में किया गया है। शब्दों का महत्त्व और अभिव्यक्ति की क्षमता हमें भावनाओं को व्यक्त करने के क्रम में समझ आता है।
मानवजाति के लिए शब्दों का व्याख्यान और इसकी अद्भुत शक्ति एक वरदान के समान है। मनुष्य के अस्तित्व की परीधि और उसका आधार शब्दों की उत्पत्ति पर ही आधारित है।
इसलिए शत्-शत् नमन है तुम्हें।
ओ अद्भुत शब्द !