आप सबके समक्ष पुनः अपनी क्षणिकाओं को लेकर उपस्थित हुई हूँ। मेरी पहले भी एक पुस्तक क्षणिकाओं पर आधारित "लम्हों में ज़िन्दगी" आप सब ने सराहा था। कम शब्दों में मननयोग्य बातों को प्रस्तुत करने पर पाठक को भी सोचने का खुराक मिलता है। कवि एवं लेखकों ने भी मेरी क्षणिकाओं को पसंद किया है और मुझे उत्साहित भी किया है। सच कहूँ तो ज्ञानी गुणीजनों की प्रेरणा के कारण ही मेरी कलम उर्वरक हुई है।
इस बार पुनः एक क्षणिका संग्रह को लेकर आप सब के बीच आई हूँ। यह पुस्तक 'क्षणों में क्षणिका' जीवन के उतार-चढ़ाव से उत्पन्न भावों तथा अनुभवों से अनुप्राणित हो कर लिखी गई है। आशा है पसन्द आएगी। कृपया निस्संकोच अपनी प्रतिक्रिया टिप्पणी अवश्य दीजिएगा। मुझे प्रतिक्षा रहेगी। हिन्दीतर भाषी हूँ परन्तु हिन्दी के महत्व से प्रभावित ही नहीं, इस भाषा की मधुरता और विशाल शब्द भंडार से गुण मुग्ध हूँ।
मेरी रचनाओं के समीक्षकों का मुझ पर सर्वदा बहुत स्नेह रहा है। उनकी प्रेरणा ने मुझ में लिखने की ऊर्जा भरी है। साहित्यकार, कवि, संपादक और प्रकाशक आदरणीय डॉ. मनमोहन शर्मा 'शरण जी की में विशेष रुप से आभारी हूँ क्योंकि शुरुआत से लेकर अब तक इनका सहयोग और सुझाव मेरे लिए पथप्रदर्शक रहा है। आदरणीय डॉ. अनीता पंडा 'अन्वी' जी को में कैसे भुला सकती हूँ। तबीयत ठीक न रहने पर भी आपने हमेशा मेरी लेखनी पर नजर रखी है। हमेशा समीक्षा तथा प्रतिक्रिया से मेरे लेखन को संवारा है। आपकी हमेशा आभारी रहूंगी। प्रिय सखी जयश्री शर्मा 'ज्योति' जी को सप्रेम धन्यवाद कहना चाहूंगी, जिन्होंने हमेशा हर कदम पर मेरा साथ दिया है।