Manvta Dharm मानवता धर्म
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इंसान ही मानव धर्म को विकसित कर सकते हैं, इसमे ऊँच-नीच, जाति-धर्म, प्रांत-परप्रांत सब कुछ भुलाकर इंसान बस सिर्फ मानव धर्म का पालन करे। जाति व धर्म भूलाकर सिर्फ इसांन मानवता पर विश्वास करे, वह इंसान संसार का सबसे सर्वश्रेष्ठ मानव कहलाते हैं। हम आप सभी कोई जाति के बने हुए नही हैं। इंसान धरती पर जन्म लेता है तभी उसकी पहचान, अपने समाज या जिस समाज में वह जन्म लेता है वह उस समाज का सदस्य कहलाता है, परंतु इंसान जब अपनी माँ के पेट मे पल रहा होता है तो उसे यह ज्ञान नहीं होता है कि वह किस जाति में जन्म ले रहा है। जब वह जन्म लेता है और वह जब बड़ा हो जाता है तभी उसे अपनी जाति का अनुभव होता है क्योंकि वह समाज से बंध जाता है, परंतु भाइयों आप अपने मन से सोचिए कि अगर हमारे घर म जन्म लेने वाले बच्चा कोई धनवान होता है तो कोई गरीब, वह उसके कर्म पर निर्भर करता है। अतः हमें यह सब भूलकर अगर कोई इंसान नीचे गिर रहा होता है तो मानव धर्म का काम यही है कि उसे अपने समान अच्छे रास्ते पर लाना, आगे हम यही समाज को बताना चाहते हैं कि अगर आपको कुछ कर दिखाना है तो इंसान के लिए अच्छा करो। अपनी जातिगत व धर्म को भूलकर मानवता मे विश्वास करो, अगर यह इंसान के समझ म आ गई तो समझो हमारा समाज जाति, प्रांत सब भूलकर मानवता मे विश्वास करने लगेगा। आपको इस रास्ते पर चलते समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, परंतु आगे आप देखगे कि एक मानव कैसे इंसान से मानवता में विश्वास करता है और उसे कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अगर आपको कुछ सिखना है या कुछ करना है तो आप इस पुस्तक के द्वारा समाज को आगे बढ़ते देख सकते हैं।