Ur Amber
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दोस्तों की टिप्पणियां मुझे अपने ही लेखन से परिचय कराती और मैं हैरत में डूब जाती। उमा सिंह जी ने सन्देश में कहा – 'बहुत सुंदर लिखती हैं आप ! आप का लेखन आप की तरह ही सुंदर है। आपके ऊंघते लम्हों ने तो मेरी दोपहर की नींद ही उड़ा दी और सोचने
को मजबूर कर दिया .... "लिखने का अंदाज़ उनका खूबसूरत है इस कदर / घूमते लिखते रहे वो .. हम देखते ही रह गये...." आप का यह कथन मुझे सच में अपनी ही सोच लगे 'दीवारें भी वही दर भी वही फिर क्यों नज़र आते हैं अपने सब अजनबी'
बस इतना ही.......