प्राचीन भारत में जीवन को सफल बनाने वाले चार पदार्थों की चर्चा होती रही है । वे पदार्थ है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । यहां काम का अर्थ, सैक्स तक सीमित नहीं है बल्कि सैक्स सहित सभी कामनाएं (Desires) हैं ।
यूरोप, अमेरीका आदि पश्चिमी देशों में पुराने समय से काम यानी सैक्स को वर्जित-फल (Prohibited Fruit) माना जाता रहा है । अट्ठारहवीं शताब्दी से सैक्स के नैतिक और सामाजिक पक्षों पर विचार होता रहा है । उन्नीसवीं शताब्दी से सैक्स के मनोवैज्ञानिक पक्षों पर विचार शुरू हुआ । उन विचार-गोष्ठियों में आमतौर पर पुरुष भाग लेते है । बीसवीं शताब्दी में स्त्रियां भी इस चर्चा में भाग लेने लगी और पुराने समय के इस वर्जित-फल को अधिक आदर मिलने लगा ।