Jane Kitni Aankhen
Jane Kitni Aankhen Preview

Jane Kitni Aankhen

  • Sat Aug 10, 2019
  • Price : 150.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi
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बहुत कुछ याद है, बहुत कुछ याद नहीं है। बचपन की इस कहानी को बीते पच्चीस बरस हो चुके। अब कुछ धुँधले चित्रा शेष रह गये हैं। सुवेगा का कहीं पता नहीं है भी, या...! हो भी तो न वह मुझे पहचान सकती और न मैं उसे जान सकता। जान-पहचान भी लें तो दूरी अनजानी ही रहेगी। इस सुखद व्यतीत का कथा-क्षेत्रा बुंदेलखंड का एक गाँव बीजाडांडी! गाँव अब भी है। अब भी वह स्कूल है, वही मैदान, पीपल का पेड़, पेड़ के पास बंगला, पक्की सड़क और उस पर दौड़ती मोटरगाडि़याँ। सब-कुछ वही! सब-कुछ वैसा ही! यदि कुछ बदला है, तो वह है समय, लेकिन समय के साथ न वहाँ के लोग बदले और न वे परिचित बोल‘‘आज सुहाग की रात, चंदा उमग मत जइयो।’’ आज भी दूर टिमटिमाते हुए उजाले में पहाड़ों के मर्म को चीरकर मन के ये बोल उठते है और बस्ती के आंगन में आकर अधूरे-अधूरे, आहिस्ता-आहिस्ता बिखर जाते हैं। इन शाश्वत स्वरों को नयी रोशनी भी नहीं छीन सकी और उनके बीच आकाशगंगा की तरह बहती प्यार की स्वच्छंद धरा को कोई नहीं रोक सका। वही अनछुई गंध्, वही क्वांरी हवाएँ, वही जीवन्त ताजगी और वही उपेक्षा अपने प्रति, आश्रितों के प्रति ।