Shabda Bhee Bolate Hain
Shabda Bhee Bolate Hain Preview

Shabda Bhee Bolate Hain

  • Fri Jun 28, 2019
  • Price : 150.00
  • Diamond Books
  • Language - Hindi
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शब्द भी बोलते हैं, यह बात सुनकर मेरे एक शिष्य ने पूछा- गुरुजी! शब्द कैसे बोलते हैं? मैंने उत्तर दिया- जिस प्रकार तुम बोलते हो, मैं बोलता हूँ, वृक्ष, पशु-पक्षी, नदी, तालाब और आकाश बोलते हैं, उसी प्रकार शब्द भी बोलते हैं । यह सुनकर मेरे शिष्यों को उत्कंठा हुई कि मनुष्य को बोलते हुए उन्होंने सुना हैं, पशु-पक्षी भी बोलते हैं, लेकिन शब्द भी बोलते हैं, ऐसा कभी सुना नहीं । मैंने अपने शिष्य को कहा - पहले इस बात को जान लो कि मैं तुम्हारा गुरु हूँ क्योंकि तुम्हें लगा कि मैं गुरु की गरिमा के योग्य हूँ । गुरु का अर्थ है भारी अर्थात् जो ज्ञान आदि से भारी हो । मुझमें गुरुता है, मतलब मैं गुरुत्व के गुण से पूर्ण हूँ, तब तुमने मान लिया कि मैं तुम्हारा गुरु हूँ । तुम्हें प्रकाश दे रहा हूँ । तुमसे ज्ञान में भारी हूँ । इसलिए तुमने मुझे गुरु मान लिया । तुम मेरे शिष्य हो, शिष्य का अर्थ होता है, वह, जिसका शीश झुका हो, जो विनीत हो । अर्जुन ने गीता में श्री कृष्ण को कहा, मैं तुम्हारा शिष्य हूँ । मतलब मैं अब पूर्ण समर्पण करता हूँ । हे केशव! तुम मुझे ज्ञान दो । इस प्रकार ‘गुरु’ और ‘शिष्य’ शब्द अपने प्रचलित अर्थ से भिन्न अर्थ भी प्रकट करते हैं तथा यहाँ प्रचलित अर्थ में उनके प्रयोग के कारण भी स्पष्ट हैं, इसे ही कहते हैं शब्दों का बोलना । शब्द के अर्थ बनने के इसी तरह अनेक कारण होते हैं ।